6 वैक्सीन रेस में आगे, भारत में यूं हो रही महाखोज

पूरी दुनिया को ठप करने वाले कोरोना वायरस (Coronavirus) को रोकने के लिए वैक्‍सीन सबसे मारक हथियार है। इसीलिए तमाम रिसर्चर्स और साइंटिस्‍ट्स लगे हुए हैं इस महामारी की काट खोजने में। भारत में वैक्‍सीन बनाने के लिए खास तैयारियां की गई हैं। वैक्‍सीन बन जाए, उसके बाद तेजी से उसके प्रॉडक्‍शन और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन को शुरू करने के लिए भी प्‍लान तैयार है। इसके अलावा कुछ दवाओं पर भी रिसर्च हो रहा है जिनसे कोविड-19 से इलाज में मदद मिलने की उम्‍मीद है। आइए जानते हैं कि सरकार के मुताबिक, कोरोना वैक्‍सीन के लिए भारत कैसे महाखोज कर रहा है।

प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजयराघवन के मुताबिक, भारत में कम से कम 6 वैक्‍सीन कैंडिडेट्स ऐसे हैं जिनमें प्रॉमिस दिखा है। देश में 30 ग्रुप्‍स हैं जो कोविड-19 की वैक्‍सीन खोज रहे हैं।

के. विजयराघवन ने कहा कि चार तरह की वैक्‍सीन पर फिलहाल रिसर्च हो रही है। इनमें mRNA वैक्‍सीन, अटेनुएटेड वैक्‍सीन, एनऐक्टिवेटेड वैक्‍सीन और एडजुवेंट वैक्‍सीन शामिल हैं।

भारत में जिन वैक्‍सीन पर काम चल रहा है, उनमें से कुछ प्री-क्लिनिकल स्‍टेज में हैं। प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ने कहा कि वैक्‍सीन बनने में टाइम लगेगा। उन्‍होंने कहा कि फिजिकल डिस्‍टेंसिंग और हैंड हाइजीन का कोई विकल्‍प नहीं है।

प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के मुताबिक, वैक्‍सीन बनाने, बड़े पैमाने पर उसका प्रॉडक्‍शन करने और फिर उसके डिस्‍ट्रीब्‍यूशन में 2 से 3 बिलियन डॉलर (1515 करोड़ रुपये-2272 करोड़ रुपये) का खर्च आएगा।

के. विजयराघवन ने कहा कि वैक्‍सीन डेवलपमेंट में करीब 10 साल लगते हैं लेकिन दुनियाभर की कोशिश सालभर के भीतर वैक्‍सीन बनाने की है। इसीलिए इनवेस्‍टमेंट्स बढ़ा दी गई हैं और रिसर्च का दायरा भी।

भारत सरकार ने यह साफ कर दिया है कि सबको वैक्‍सीन एक साथ नहीं मिलेगी। गुरुवार को के. विजयराघवन ने कहा, "वैक्‍सीन कोई स्विच नहीं है जो पहले दिन से सबको मिल जाए। इस बीमारी में सबको इसकी जरूरत पड़ेगी। वैक्‍सीन का ऐक्‍सेस एक बड़ी चुनौती है।"

वैक्‍सीन खोजने के अलावा कोरोना वायरस पर असरदार दवा की तलाश भी हो रही है। करीब 10 दवाओं को मरीजों के इलाज में इस्‍तेमाल किया जा रहा है। ये सभी फिलहाल ट्रायल के अलग-अलग स्‍टेज में हैं।

भारत में favipiravir, itolizumab, phytopharmaceutical (प्‍लांट बेस्‍ड), microbacterium W, convalescent plasma, arbidol, ACQH, HCQ, remdesivir और BCG वैक्‍सीन अंडर ट्रायल हैं।

सरकार ने कहा है कि रिसर्च और डेवलपमेंट की तीन लाइन्‍स हैं। पहली ये की घरेलू कोशिशें हों। दूसरी ग्‍लोबल लेवल पर सहयोग हो जिसमें भारतीय संस्‍थान लीड रोल में हैं और तीसरा ग्‍लोबल कोशिशों में भारत की भी हिस्‍सेदारी हो। सरकार ने कहा कि इससे सफलता की ज्‍यादा उम्‍मीद है।

प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजयराघवन के मुताबिक, "हमें रेगुलेटरी प्रोसेस को तेज करना होगा, मैनुफैक्‍चरिंग की क्षमता बढ़ानी होगी और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन सिस्‍टम्‍स तैयार करने होंगे।"



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