चीन से तनातनी पर CPM यह क्या बोल रही?

तिरुवनंतपुरम चीन के साथ बढ़ते सीमा विवाद और गलवान घाटी में 20 जवानों की शहादत के बाद से ही चीन के प्रति नरम रुख के लिए मार्क्सवादी (सीपीएम) की लगातार आलोचना हो रही है। अब ने अपने मुखपत्र में भारत के कुछ ऐसे कदमों का जिक्र किया है, जिसकी वजह से लद्दाख में चीन के साथ टकराव की परिस्थितियां बनी हों। इसमें जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत सरकार के निर्णयों को भी शामिल किया गया है। सीपीएम के मुखपत्र 'पीपल्स डेमोक्रेसी' में 28 जून की तारीख से पब्लिश संपादकीय में चीन के कदम को 'बेहद खराब' करार दिया गया है। लेकिन इसके साथ ही भारत की तरफ से कुछ 'उकसावे' वाले कदमों का भी जिक्र है। संपादकीय में कहा गया है 'जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करने के साथ ही इसको 2 केंद्रशासित क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में बांटने से बाहरी प्रतिक्रिया देखने को मिली। चीन ने इसको अपने नजरिए से देखा। चीन सरकार ने इसको लेकर भारत के सामने अपना विरोध भी दर्ज कराया। उनके अनुसार प्रशासकीय व्यवस्था में इस बदलाव से उस भू-भाग पर भी असर पड़ेगा, जिस पर चीन अपना दावा करता है।' सीपीएम के मुखपत्र की संपादकीय के अनुसार, 'भारत सरकार ने चीन की तरफ से हुई इस प्रतिक्रिया को नजरअंदाज कर दिया। चीन ने इस मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी उठाया लेकिन भारत अपने स्टैंड पर कायम रहा।' संपादकीय में गृहमंत्री अमित शाह के 6 अगस्त 2019 को संसद में दिए गए भाषण का भी जिक्र है, जिसमें उन्होंने कहा था- 'मैं यह रेकॉर्ड में दर्ज कराना चाहता हूं कि जब कभी मैं सदन में जम्मू और कश्मीर राज्य कहूं, तो PoK और अक्साई चिन दोनों ही इसमें शामिल हैं।' सीपीएम के अनुसार इस मामले पर भारत के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व का भाषण का भी काफी कुछ असर पड़ा। मुखपत्र विदेश मंत्री एस. जयशंकर का भी जिक्र किया, जिसमें पिछले साल सितंबर में उन्होंने एक दिन PoK के अधिकार क्षेत्र के बारे में बात की थी।


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