चीन के हवाई ठिकानों पर IAF की कड़ी नजर

रजत पंड‍ित, नई दिल्‍ली लद्दाख में चल रहे सैन्‍य तनाव के बीच के तिब्‍बत और शिन‍जियांग प्रांत में स्थित हवाई ठिकानों पर नजदीकी से नजरें गड़ाए हुए है। इन ठिकानों पर चीनी वायुसेना ने तनाव को देखते हुए फाइटर जेट, बमवर्षक विमान, ड्रोन और अन्‍य विमान तैनात किए हैं। उधर, चीन के किसी भी नापाक हरकत का जोरदार जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना भी पूरी तरह से तैयार है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि चीनी एयरफोर्स के शिनजियांग स्थित होटान और काशगर, तिब्‍बत में गरगुंसा, ल्‍हासा-गोंग्‍गर और शिगत्‍से एयरबेस पर 'किसी भी नए या बड़े हथियार की तैनाती नहीं' हुई है। इन एयरबेस में से कुछ नागरिक हवाई अड्डे के रूप में काम करते हैं। इसके बाद भी भारतीय सेना और वायुसेना ने चीन से लगी 3488 किलोमीटर लंबी सीमा पर अपनी 'पूरी लड़ाकू क्षमता' के मुताबिक तैनाती की है। जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात उन्‍होंने बताया कि किसी भी हवाई खतरे का जवाब देने के लिए जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और सैन्‍य साजो सामान को भी सीमा पर तैनात किया गया है। भारत ने लद्दाख में अपने अग्रिम हवाई ठिकाने पर सुखोई-30एमकेआई, मिग-29 और जगुआर बमवर्षक विमानों को तैनात किया है। सूत्रों ने कहा कि चीनी वायुसेना के पास भारत की तुलना में चार गुना ज्‍यादा (2100) फाइटर जेट और बमवर्षक विमान हैं लेकिन महत्‍वपूर्ण बात यह है कि परंपरागत सैन्‍य टकराव होने पर ड्रैगन कितने विमानों को हमारे खिलाफ तैनात करेगा। वर्तमान समय में होटान एयरबेस पर 35 से 40 जे-11, J-8 और अन्‍य फाइटर जेट को तैनात किए हैं। इसके अलावा कुछ निगरानी करने वाले अवाक्‍स व‍िमान और हथियारबंद ड्रोन विमान भी तैनात किए हैं। वहीं काशगर में चीन ने 6 से लेकर 8 H-6K बमवर्षक विमानों को तैनात किया है। एक सूत्र ने कहा, 'चीन के जमीनी सैनिकों को कमजोर करने के लिए भारतीय वायुसेना चीनी वायुसेना की तुलना में ज्‍यादा तेजी से और ज्‍यादा मात्रा में फाइटर जेट तैनात कर सकती है।' भारतीय वायुसेना के पास रणनीतिक बढ़त सूत्र ने कहा कि चीन और पाकिस्‍तान की संयुक्‍त चुनौती से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना भले ही कम विमानों की चुनौती से जूझ रही हो लेकिन उसे चीनी वायुसेना पर गुणवत्‍ता के ल‍िहाज से बढ़त हासिल है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना में जल्‍द ही 36 नए राफेल लड़ाकू विमान शामिल होने जा रहे हैं। उधर, पीएलए के एयरफोर्स को ऊंचाई वाले इलाकों की वजह से क्षेत्र का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे उनकी हथियार और ईंधन ले जाने की क्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ता है।


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